तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा

तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा

-पीयूष मिश्रा

     पीयूष मिश्रा नाम मुझे पहली बार गुलाल के गाने 'आरंभ है प्रचंड' के कारण पता चला।  इसके बाद एक बगल में चांद होगा....घर...हुस्ना गाने सुने और एक गायक, गीतकार और संगीतकार के रूप में इस शख्स के प्रशंसक बन गए।  फिर धीरे-धीरे यूट्यूब पर इस शख्स के कई इंटरव्यू सुनने के बाद मुझे एहसास हुआ कि वह कितने अद्भुत इंसान हैं, इसलिए मैंने थोड़ा और जानने का फैसला किया तब मेरे हात आया.... तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा।  पीयूष मिश्रा का आत्मकथात्मक उपन्यास।

        किताब शुरू हुई और मैंने पीयूष मिश्रा को उनके अनोखे अंदाज में सुनना शुरू किया....जैसे वह सचमुच मेरे सामने बैठे अपनी कहानी सुना रहे हों।  जैसा कि मैंने ऊपर बताया, यह किताब एक आत्मकथात्मक उपन्यास है, क्योंकि इसमें खुद पीयूष मिश्रा सहित कई वास्तविक लोगों के नाम थोडे मोड मरोडकर, काल्पनिक तरिके इस तरह लिखे गए हैं कि हम उन्हें आसानी से समझ सकते हैं । पूरी किताब में पीयूष मिश्रा खुद को संतप त्रिवेदी और हेमलेट कहते हैं और दोनों नाम इस व्यक्ति पर बिल्कुल फिट बैठते हैं।

        किताब के पन्ने पीछे छूट रहे थे....पीयूष मिश्रा का जीवन आगे बढ़ रहा था और मुझे एक सच्चे कलाकार को और करीब से देखने का अद्भुत अनुभव हो रहा था।  पीयूष मिश्रा के गाने सुनते समय, उनकी एक्टिंग देखकर पता चलता है कि वह कितने समर्पित कलाकार हैं, लेकिन किताब पढ़ते समय कई बार एहसास होता है कि वह कितने ईमानदार इंसान हैं.  जीवन में बहुत सी गलतियाँ होती हैं, उन्हें दुनिया के सामने रखकर व्यक्ति बड़ी आसानी से मुक्त हो जाता है....शायद इसी के लिए यह किताब लिखी गयी है !

         अपने परिवार के साथ रिश्ते, बचपन के कड़वे अनुभवों के कारण खुद से चल रही लड़ाई और नाटक जो उन्हें इन सब से बाहर ले जाता है, और जब पीयूष मिश्रा अभिनय की दुनिया में आते हैं, तो आगे पढ़ने पर यह उत्तर मिलता है कि एक कलाकार को ऐसा क्यों करना चाहिए कला के प्रति जुनूनी होना.  साथ ही हमारे दिमाग में उन चीजों की सूची भी तैयार हो रही थी जो हमें कला का अभ्यास करते समय नहीं करनी चाहिए।  प्यार, जुनून, धैर्य जैसी कई भावनाओं की पराकाष्ठा को महसूस करना, गलतियों और छूटे अवसरों के बारे में कम से कम दुख व्यक्त करते समय लेखक का यह महसूस करना कि जो हुआ वह सबसे अच्छा था, निश्चित रूप से लेखक को एक बार फिर इस आदमी से प्यार हो जाता है !

          वैसे भी, किताब बहोत अच्छी है । कई चौंकाने वाली घटनाओं का अनुभव करने के बाद, कई वर्षों की तपस्या के बाद, जब उस तपस्या का फल आता है, तो आपको एहसास होता है कि यह कितना सुंदर हो सकता है और आपको निरंतर नवीनता के साथ-साथ अपने परिवार और प्रियजनों के साथ प्यार से व्यवहार करने की प्रेरणा मिलती है!

-पार्थ भेंडेकर

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